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Gunja prevents Paralysis, arthritis, helps in hair growth, prevents baldness, removes leprosy marks, prevents cataract, prevents Muscular spams, helpful in leuckorrohea, is used to treat snake bites.
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Rosary Pea (Abrus Precatorius) is also called Gunja and Jequirity peas. Rosary plant is known for containing a toxic substance ‘abrin’. The common symptoms of its toxicity include nausea, vomiting, diarrhea and trouble breathing. In some cases, it can also cause anuria (anuresis) and heart disease. The unwise use of any part of Rosary plant can lead to several side effects. Therefore, Rosary peas are not used in the raw form in ayurveda and traditional medicine. It is processed to detoxify and to eliminate its toxic effects. The purified (detoxified) Rosary Peas exert stimulatory and strengthening actions on nerves. Due to this action, it is used to treat paralysis. However, it acts as a sedative when used in the high dosage. The rosary peas also have aphrodisiac action. Detoxified rosary seeds are dried and then ground to make a coarse powder. The coarse powder is then used to boil in milk. This milk is filtered and advised to drink for improving erection, stamina, and performance. Leaves and roots of the rosary plant act as antitussive and soothe the throat similarly like Mulethi (Licorice roots). Therefore, rosary roots and leaves are beneficial in the treatment of a cough, bronchitis and sore throat. Detoxification of Rosary Pea
व्यवसाय, कारोबार या नौकरी में बरकत
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार के दिन 1 तांबे का सिक्का, 6 लाल गुंजा बीज कोरे लाल कपड़े में बांधकर सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे के बीच में किसी सुनसान जगह में अपने ऊपर से 11 बार उतार कर 11 इंच गहरा गङ्ढा खोदकर उसमें दबा दें। ऐसा 11 बुधवार करें। दबाने वाली जगह हमेशा नई होनी चाहिए। इस प्रयोग से व्यवसाय कारोबार या नौकरी में बरकत होगी, घर में धन का कभी भी अभाव नहीं होगा।
2. यदि सफेद गुंजा के 11 या 21 दाने अभिमंत्रित करके विद्यार्थियों के कक्ष में उत्तर पूर्व में रख दिया जाये तो एकाग्रता एवं स्मरण शक्ति में गजब का लाभ होता है।
3 - वर-वधू की रक्षा के लिए
विवाह के समय लाल गुंजा वर के कंगन में पिरोकर पहनायी जाती है। यह तंत्र का एक प्रयोग है, जो वर की सुरक्षा, समृद्धि, नजर-दोष निवारण एवं सुखद दांपत्य जीवन के लिए है। गुंजा की माला आभूषण के रूप में पहनी जाती है।
Gunja ke tantra totake
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4 - विष-निवारण
गुंजा की जड़ को गंगाजल से धोने के बाद सुखाकर रख लें। यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के जहर विष –के प्रभाव से अचेत हो रहा हो तो उसे पानी में गुंजा की जड़ को घिसकर पिलायें। इसको पानी में घिस कर पिलाने से हर प्रकार का विष जहर उतर जाता है।
कुष्ठ निवारण - गुंजा मूल को अलसी के तेल में घिसकर लगाने से कुष्ठ (कोढ़) के घाव ठीक हो जाते हैं।
अंधापन समाप्त - गुंजा-मूल को देशी गाय के घी में घिसकर प्रतिदिन लगाते रहने से अंधत्व कुछ ही में दूर हो जाता है।
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गुंजा जिसे रत्ती भी कहा जाता है, सबसे दुर्लभ वनस्पतियों के नाम के साथ ही सबसे महंगे बीज के रूप में सामने आया है। इस बीज को लेकर पहली बार चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस बीज को व्यापारी सात सौ रुपए किलो तक खरीदने को तैयार हैं और व्यापारी इस बीज को एडवांस में पैसे देकर भी खरीद रहे हैं।
गुंजा को मुख्य रूप से तीन प्रजातियों के लिए जाना जाता है, जिसका रंग सफेद, लाल-काला और भूरा रंग से है। सबसे ऊंची कीमत सफेद गुंजा की है, जिसके संकलनकर्ताओं को सात सौ रुपए किलो मिल रहे हैं। गुंजा की तीन प्रजातियां जिले में उपलब्ध हैं, जिसकी अलग-अलग कीमत है। सबसे अधिक कीमत सफेद गुंजा के बीज की है, जिसकी कीमत सात सौ रुपए है। प्रतिस्पर्धा में इसकी कीमत अधिक भी होती है। लाल रंग के गुंज की कीमत 70 रुपए किलो है। तीसरी प्रजाति कुछ काली और भूरे रंग लिए होती है उसकी कीमत तीन सौ रुपए किलो है। स्थानीय व्यापारी विजय ने बताया कि वे 10 साल से खरीदी कर बाहर के व्यापारियों को गुंजा बेच रहे हैं, लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि इसका उपयोग क्या है। उन्होंने बताया कि एक बात विचारणीय है कि इसके संकलन और बिक्री करने वाले परंपरागत रूप से ही लगे हैं।
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